पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ 2020
1919 में पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में ज्वारीय परिकल्पना प्रस्तुत किए और सन 1929 में जयपुर में कुछ संशोधन करके इस परिकल्पना को कुछ कली तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है प्रारंभ में सूर्य गैस का बहुत बड़ा गोला था सूर्य के साथ भ्रमण में दूसरा विशालकाय तारा था जिस प्रकार चंद्रमा के द्वारा जल की सतह पर ज्वार उत्पन्न होता है उसी प्रकार इन वैज्ञानिकों ने समानता बताकर अपने सिद्धांतों को आगे बढ़ाया एक विशाल तारा निहारिका अर्थात वर्तमान सूर्य के पास से गुजरने लगा इससे तारे की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के पदार्थ में ज्वार उत्पन्न हुआ और परिणाम स्वरूप सूर्य में से कुछ पदार्थ निकला जैसे जैसे तारा सूर्य के पास आता गया वैसे-वैसे सूर्य से अधिक पदार्थ निकलता गया और जब सबसे कम दूरी पर तारा आ गया तब सबसे अधिक ज्वार के रूप में सूर्य से निकला जैसे ही तारा अपने मार्ग पर आगे बढ़ा वैसे ही पूर्ण सूर्य और तारीख की बीच की दूरी परिणाम स्वरूप पदार्थ निकलने लगा अंत में तारा अपने मार्ग में चला गया लेकिन सूर्य के द्वारा निकला हुआ भाग सूर्य सितारे जाते समय एक क्षण और सूर्य के केंद्रीय दोनों शक्तियों के कारण अलग हो गया लेकिन सूर्य की गति के कारण तारे के साथ लगा हुआ था और उसने एक सिंगार अथवा उनके दोनों टूटने से दोनों का निर्माण हुआ इसी प्रकार से अधिक और छोटे ग्रहों का निर्माण हुआ है उसका कुछ ठंडा होने पर निर्माण हुआ है